हिंग्लिश - बदलते भारत की नई हिंदी

सौ प्रथम, इस हिंदी दिवस के अवसर पर आप सभी को हिंदी दिवस की ढेर सारी बधाईयाँ।।


अंग्रेजी भवन(महाराजा कृष्णकुमार सिंहजी भावनगर विश्वविद्यालय) के छात्रों के द्वारा हिंदी दिवस का उत्सव कोविड 19 के कारण #Virtually मनाया गया था, जिसका सीधा प्रसारण फेसबुक से किया गया था। मेरा ये आज का ब्लॉग इसी विषय के संदर्भ में लिखा गया है। और यह कार्यक्रम का सफलता पूर्वक संपन्न होने का श्रेय अंग्रेजी भवन के विभागध्यक डॉ. दिलीप बारड साहब को जाता है।


आज में हिंदी दिवस के इस अवसर पर आपके समक्ष बदलते भारत में बदलते हिंदी भाषा के स्वरूप के विषय में अपने कुछ विचार प्रकट करना चाहती हूं।


तो, शुरुआत करते है हिंदी के एक सुप्रसिद्ध फिल्म "नमक हलाल" के लोकप्रिय संवाद से, जो अभिताभ बच्चनजी के द्वारा बोला गया है….


"I can walk English, 

I can talk English,

I can laugh English,

Because 

English is a funny language."


उपर्युक्त संवाद अंग्रेजी का "Indianized Form" सांझा करता है। यहां पर अंग्रेजी भाषा को भारतीय भाषा के ढांचे में ढालने का एक प्रयास है। इस प्रक्रिया में ज्यादातर हम व्याकरण, वाक्य का स्वरूप और बोलने का ढंग तो हिंदी में ही रखते है लेकिन प्रयोग अंग्रेजी का करते है।


अगर हम भारतीय भाषा के इतिहास को देखें तो हमे ज्ञात होता है कि राष्ट्र भाषा के चयन में आजादी काल से ही हिंदी और अंग्रेजी के बीच में एक जंग छिड़ी हुई है, और ये आज भी जारी है। आज तक हम किसी भी भाषा को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा नहीं दे पाए है। लेकिन इसी जंग के चलते वर्तमान भारत में एक नई ही भाषा का उदभव हुआ है और वो है हिंग्लिश।(Hinglish)


हिंग्लिश हिंदी भाषा का आधुनिक स्वरूप है, जिसमें संचार के लिए अंग्रेजी (व्यापार और संचार की आंतराराष्ट्रिय भाषा) और हिंदी (भारत में सबसे ज्यादा प्रयुक्त होने वाली भाषा) भाषा का एक साथ प्रयोग किया जाता है। वार्तालाप में अंग्रेजी और हिंदी भाषा के समांतर उपयोग को हिंग्लिश कहा जाता है। हालांकि एक बात यहां पर नोंधनिय रहेगी कि हिंग्लिश को अभी तक भाषा की सूची में सम्मिलित नहीं किया गया है।


अब बात करते है हिंग्लिश भाषा के उदभव और विकास में भारतीय सिनेमा का योगदान। बॉलीवुड फिल्म, बॉलीवुड संगीत और विज्ञापनों की भूमिका यहां पर सराहनीय है। आजकल ट्रेन्ड में चल रहे  वेबसिरिज का योगदान भी नोंधनीय है। कुछेक न्यूज़ चैनल भी ज्यादा से ज्यादा दर्शकों को आकर्षित करने हेतु अब हिंदी और अंग्रेजी के एक साथ प्रयोग को ज्यादा महत्व देती है। तो, इन्हीं सारे पासाओ की वजह से भारत में हिंग्लिश का विकास बहुत तेजी से हो रहा है। अब कुछ उदाहरण देखते है कि किस प्रकार विज्ञापन और फिल्मों में हिंदी भाषा का प्रयोग होता आ रहा है…


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Movies ( फिल्म)








हिंग्लिश का महत्व


बदलते हिंदी के स्वरूप और बढ़ रहे हिंग्लिश के प्रयोग के पीछे बहोत सारे कारण जुड़े हुए है, जैसे कि…



1)टेलीविजन, रेडियो, कम्प्य़ूटर और मोबाइल फोन की वजह है, लोग निरंतर हिंग्लिश के संपर्क में आते रहते है, और ये सारे साधन सम्पूर्ण हिंदी और सम्पूर्ण अंग्रेजी की बजाय, हिंग्लिश का प्रयोग करना ज्यादा पसंद करते है। इसी वजह से लोगो की भाषा भी हिंदी और अंग्रेजी का मिश्रण हिंग्लिश बनकर रह गया है।


2) दूसरी वजह हम ये दे सकते है कि प्रत्येक बालक अपने स्कूल के समय से ही हिंदी और अंग्रेजी के संपर्क में आ जाता है और इसी लिए वो दोनों भाषाएं एक साथ प्रयोग करने की बुद्धि विकसित कर लेते है।


3) कई अभ्यास आधार पर ऐसा माना जाता है कि बहुत सारे ऐसे लोग है को सम्पूर्ण अंग्रेजी(विदेशी भाषा होने के कारण) में वार्तालाप नहीं कर सकते, इसीलिए वो लोग हिंग्लिश में संचार करना पसंद करते है और हिंग्लिश के प्रयोग में वो ज्यादा सहज महसूस करते है।


4) कई ऐसे अंग्रेजी शब्द भी है जिसने हिंदी में स्थायी स्थान प्राप्त कर लिया है। और अगर ऐसे शब्दों को हम अंग्रेजी शब्द की बजाय हिंदी में प्रयोग करे तो कुछ सुसंगत सा नहीं लगता। जैसे कि…

  • वीरपुर की लोहपथगामिनी(ट्रेन) कब आने वाली है
  • हमारा दूरभाष यंत्र(फोन) कहा रख दिया हमने।

तो ये बात हुई हिंग्लिश के महत्व की जिसके प्रयोग में लोगो को सहजता और सरलता महसूस होती है। लेकिन एक प्रश्न यह भी उपस्थित होता है कि क्या हिंग्लिश का प्रयोग हिंदी को लुप्तता की कगार पर लाके खड़ा कर देगा? अगर हम "शुद्ध भाषा विज्ञान" के नज़रिए से सोचे तो कुछ अंश तक हिंग्लिश के प्रयोग से हमे आपत्ति हो सकती है।


लेकिन एक बहस यह भी है कि भाषा का उपयोग मानव संवेदनाओं और विचारों का आदान प्रदान के लिए किया जाता है। और समय के साथ चलना ही समय पर विजय प्राप्त करना होगा, अगर हम एक ही कड़ी में अपने आप को बांध कर रखेंगे तो संभव है कि हम अपने अस्तित्व से हाथ धो बैठे, जैसा संस्कृत के साथ भी हुआ है। इसीलिए विभिन्न भाषाओं के शब्दों को अपनी भाषा में सम्मिलित करना भाषा का विस्तार दर्शाता है।


इसीलिए हिंग्लिश का प्रयोग हिंदी का पतन नहीं लेकिन पुनर्जीवन है।


धन्यवाद।।।


 


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